
नाम | मोरारजी रणछोड़जी देसाई |
जन्म | 29 फेब्रुअरी 1896 |
जन्मस्थान | भदेली ग्राम |
पिता | रणछोड़जी देसाई |
माता | विजयाबेन देसाई |
पत्नी | जराबेन |
पुत्र | मधुकेश्वर देसाई, कांति देसाई |
शिक्षा | ग्रेजुएट |
कार्य | कलेक्टर, राजनीती |
पुरस्कार | भारत रत्न |
नागरिकता | भारतीय |
भारत के छ्ठे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई (Morarji Desai Biography in Hindi) :
मोरारजी देसाई भारत के स्वतंत्रता सेनानी और भारत देश के छ्ठे प्रधानमंत्री थे। वह पहले गैर कांग्रेसी प्रथम प्रधानमंत्री थे। प्रधानमंत्री बनने से पहले वो भारत सरकार में उप-प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रलयों का कारभार संभल चुके थे। मोरारजी बॉम्बे राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके थे। उनको भारत और पाकिस्तान के मध्य शांति स्थापित करने के प्रयासों के लिए भी जाना जाता है। 1974 में भारत के प्रथम नाभिकीय परिक्षण के बाद उन्होंने पाकिस्तान और चीन के साथ मित्रता बहाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। Morarji Desai was Sixth Prime Minister Indian
प्रारंभिक जीवन (Morarji Desai Early Life) :
मोरारजी देसाई का जन्म 29 फ़रवरी 1896 को गुजरात के वलसाड जिले के भदेली नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता रणछोड़जी देसाई भावनगर में एक स्कूल अध्यापक थे और बाद में मानसिक अवसाद से ग्रस्त रहने के कारण उन्होंने आत्म-हत्या कर ली थी। उनकी माता का नाम विजयाबेन देसाई था। Morarji Desai Biography in Hindi
शिक्षा और शादी (Morarji Desai Education and Marriage) :
मोरारजी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा सौराष्ट्र के ‘द कुंडला स्कूल’ ग्रहण की और बाद में वलसाड़ के बाई अव हाई स्कूल में दाखिला लिया। मुंबई के विल्सन कॉलेज से स्त्नातक करने के बाद वो गुजरात सिविल सेवा में शामिल हो गए। 16 वर्ष की आयु में 1911 में इनका विवाह गुजराबेन से हो गया, और उनके दो पुत्र है। जिनका नाम मधुकेश्वर देसाई और कांति देसाई है।
1918 में गुजरात में नागरिक सेवा में शामिल होने और उप कलेक्टर के रूप में काम करना शुरू कर दिया। गोधरा में हुए दंगों में उनपर पक्षपात का आरोप लगा जिसके स्वरुप उन्होंने 1930 में गोधरा के डिप्टी कलेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया। सरकारी नौकरी छोड़ने का बाद मोरारजी देसाई स्वाधीनता आन्दोलन में कूद पड़े।
स्वतंत्रता आन्दोलन और राजनीति में योगदान (Morarji Desai in Freedom Fighter) :
इसके बाद उन्होंने महात्मा गाँधी के नेतृत्व में अंग्रेजों के विरूद्ध “सविनय अवज्ञा” आन्दोलन में भाग लिया। स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान मोरारजी कई बार जेल गए। 1931 में वह गुजरात प्रदेश की कांग्रेस कमेटी के सचिव बने और फिर अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की शाखा स्थापित कर उसके अध्यक्ष बन गए। 1934 और 1937 के प्रांतीय चुनाव के बाद उन्हें बॉम्बे प्रेसीडेंसी का राजस्व और गृह मंत्रालय सौंपा गया।
भारत की आजादी से पहले, मोरारजी देसाई ने महात्मा गांधी के सत्याग्रह में सक्रिय भागीदारी की। फिर अगस्त 1942 में, उन्हें भारत छोड़ो आंदोलन का समर्थन करने के लिए गिरफ्तार किया गया था और 1945 में रिहा किया गया। 1946 में राज्य विधानसभा चुनावों में, वह बॉम्बे प्रांत में गृह और राजस्व मंत्री के रूप में चुने गए थे।
1952 में इन्हें बंबई प्रान्त का मुख्यमंत्री बनाया गया। गुजरात तथा महाराष्ट्र दोनों बंबई प्रोविंस के अंतर्गत आते थे। इसी दौरान भाषाई आधार पर दो अलग राज्य माहाराष्ट्र (मराठी भाषी क्षेत्र) और गुजरात (गुजरात भाषी क्षेत्र) बनाने की मांग बढ़ने लगी पर मोरारजी इस तरह के विभाजन के लिए तैयार नहीं थे।
1960 में मोरारजी ने “संयुक्त महाराष्ट्र समिति” के प्रदर्शनकारियों पर गोली चलने का आदेश दिया जिसमे लगभग 105 लोग मारे गए। इस घटना के बाद मोरारजी को बॉम्बे के मुख्य मंत्री पद से हटाकर केंद्र में में बुला लिया गया। Morarji Desai Biography in Hindi
प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में (As Prime Minister Candidate) :
जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु के बाद 1964 के चुनावों में, उन्हें लाल बहादुर शास्त्री ने पराजित कर दिया था, जिससे उन्हें पार्टी में और समर्थन हासिल करने के लिए छोड़ दिया गया था। 1966 में फिर शास्त्री मृत्यु के बाद कांग्रेस अध्यक्ष के कामराज ने पंडित नेहरु की बेटी इंदिरा गांधी का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए सुझाया पर मोरारजी देसाई ने भी प्रधानमंत्री पद के लिए स्वयं का नाम प्रस्तावित कर दिया।
लेकिन इंदिरा गाँधी के जीत के बाद उनके मंत्रिमंडल में मोरारजी देसाई उप-प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री बने। 1969 में जब इंदिरा ने उनसे वित्त मंत्रालय वापस ले लिया तब उन्होंने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस का विभाजन दो खंडो में हो गया।
1971 के लोक सभा चुनाव में इंदिरा गाँधी को अपार सफलता मिली जबकि मोरारजी की बुरी तरह से हार हुई। बाद में 12 मार्च 1975 को मोरारजी देसाई ने गुजरात के नवनिर्माण आन्दोलन के समर्थन में आमरण अनसन प्रारंभ किया।
1975 में जब इलाहाबाद उच्च न्यायलय ने इंदिरा गाँधी के 1971 के चुनाव को अवैध करार दिया तब विपक्ष ने एकजुट होकर उनके इस्तीफे की मांग की जिसके बाद देश में आपातकाल लागू कर दिया गया और मोरारजी देसाई समेत सभी बड़े नेताओं को जेल भेज दिया गया।
प्रधानमंत्री के रूप में (Morarji Desai As a Prime Minister of India) :
1977 में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में भ्रष्टाचार-विरोधी आन्दोलन और आपातकाल-विरोधी हवा ने लोक सभा चुनाव में उत्तर भारत में कांग्रेस का सफाय कर दिया और जनता पार्टी को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी।
इस प्रकार 81 वर्ष की उम्र में मोरारजी देसाई भारत के प्रधानमंत्री बने। इनके शासन के दौरान, कांग्रेस शाषित नौ राज्यों की सरकारों को भंग कर दिया गया और नए चुनाव कराये जाने की घोषणा कर दी गई। सरकार का यह कदम साफ़-साफ़ बदले की भावना से प्रेरित, अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक था।
मोरारजी देसाई ने पड़ोसी मुल्कों पाकिस्तान और चीन से रिश्ते सुधारने की दिशा में पहल किया। उन्होंने चीन के साथ राजनयिक संबंधो को बहाल किया और इंदिरा गाँधी सरकार द्वारा किये गए बहुत सारे संवैधानिक संशोधनों को उनके मूल रूप में वापस कर दिया।
चुनाव प्रचार के दौरान मोरारजी देसाई ने भारत के ख़ुफ़िया एजेंसी ‘रॉ’ को बंद करने की बात कही थी और जब वो प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने सचमुच एजेंसी का अकार और बजट बहुत कम कर दिया था।
1979 में राज नारायण और चौधरी चरण सिंह ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया तब मात्र दो साल की अल्प अवधि में ही मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा।
पुरस्कार (Awards) :
- 1990 में पाकिस्तान सरकार द्वारा ‘निशान-ए-पाकिस्तान’ से सम्मानित किया गया।
- 1991 में भारत के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।
मृत्यु (Morarji Desai Death) :
प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे के बाद मोरारजी देसाई ने 83 साल की उम्र में राजनीति से संन्यास ले लिया और मुंबई में रहने लगे। 10 अप्रैल 1995 को 99 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गयी। Morarji Desai Biography in Hindi
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