
पूरा नाम | शकुंतला देवी |
जन्म | 4 नवंबर 1929 |
जन्मस्थान | बंगलौर |
पिता | बिश्व मित्र मणि |
माता | मेनका |
पति | पारितोष बनर्जी |
पुत्री | अनुपमा बनर्जी |
व्यवसाय | सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक |
पुरस्कार | वुमेनऑफ़ दी इयर सम्मानित |
नागरिकता/राष्ट्रीयता | भारतीय |
सामाजिक कार्यकर्ता शकुंतला देवी (Shakuntala Devi Biography in Hindi) :
गणितज्ञ शकुंतला देवी Shakuntala Devi जिनके पास पूरी दुनिया “मानव कंप्यूटर” के रूप में जानती है। यह एक ऐसी नारी हैं जिनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल हुआ। शकुंतला देवी बहुत ही टैलेंटेड महिला है, जिसके कारण उनका नाम विश्व विख्यात हुआ है जिसमें अच्छे बुक्स भी हैं, जिसमें “द वर्ल्ड ऑफ होमो सेक्शुयल” हैं। पहली बार किसी भारतीय ने इस विषय पर लिखा इसके अलावा इन्होने ज्योतिष शास्त्र पर भी लिखा। Shakuntala Devi Biography in Hindi
प्रारंभिक जीवन (Shakuntala Devi Early Life) :
शकुंतला देवी जी का जन्म 4 नवंबर 1929 को बेंगलुरु कर्नाटका में हुआ। शकुंतला जी ब्राह्मण परिवार से थी। एक रुड़ीवादी परिवार से होने के कारण इनके पिता पर पुजारी बनने का दबाव था, परंतु इन्होने मंदिर में पंडित का काम करने से इंकार कर दिया था और इसके बजाय वे एक सर्कस में कलाकार के तौर पर काम करने लगे। Shakuntala Devi Biography in Hindi
जब शकुंतला देवी मात्र 3 वर्ष की थीं, तब ताश खेलते हुए इन्होंने कई बार अपने पिता को हराया। पिता को जब अपनी बेटी की इस क्षमता के बारे में पता चला तो उन्होंने सर्कस छोड़ शकुंतला देवी पर सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित करना शुरु कर दिया और इनकी क्षमता को भी पहले स्थानीय स्तर पर प्रदर्शित किया।
अपने पिता के माध्यम से रोड शो करने वाली शकुंतला देवी को अभी भी दुनिया में पहचान नहीं मिली थी। लेकिन जब वह 15 वर्षों की हुईं तो राष्ट्रीय मीडिया सहित अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में इन्हें पहचान मिलने लगी। शकुंतला देवी उस समय पहली बार खबरों की सुर्खियों में आईं जब बीबीसी रेडियो के एक कार्यक्रम के दौरान इनसे अंकगणित का एक जटिल सवाल पूछा गया और उसका इन्होंने तुरंत ही जवाब दे दिया। इस घटना का सबसे मजेदार पक्ष यह था कि शकुंतला देवी ने जो जवाब दिया था वह सही था जबकि रेडियो प्रस्तोता का जवाब गलत था।
शादी (Shakuntala Devi Marriage) :
शकुन्तला देवी का विवाह 1960 में कोलकात्ता के एक बंगाली आई.ए.एस. अधिकारी परितोष बनर्जी के साथ हुआ। इनका वैवाहिक सम्बन्ध बहुत दिनों तक नहीं चल सका और किसी कारणवश 1979 में ये अपने पति से अलग हो गईं। 1980 में ये अपनी बेटी अनुपमा बनर्जी के साथ बेंगलोर लौट आईं। Shakuntala Devi Biography in Hindi
मानव कंप्यूटर के नाम से प्रसिद्धि (Shakuntala Devi Human Computer) :
16 साल की उम्र में इनको बहुत प्रसिद्धि मिली, जब उसने 13 अंकों की संख्याओं का गुणनफल 28 सेकंड में निकाल दिया। उस समय में संसार के सबसे तेज कंप्यूटर को 10 सेकंड के अंतर से हरा दिया। इतनी कम उम्र में ही गणित के क्षेत्र में ऐसी अद्भुत क्षमता देखने को उस समय संसार में कहीं नहीं थी। विश्व में अपने गणितीय कौशल की धूम मचाने के बाद अपने देश भारत में पूर्णरूप से प्रसिद्ध हो गए।
शकुन्तला देवी ने संसार के 50 से अधिक देशों की सुरक्षा की और बहुत से शैक्षिक संस्थानों, गेट्स और यहां तक कि टेलीविज़न पर भी अपनी गणितीय क्षमता का प्रदर्शन किया। 27 सितंबर, 1973 को विश्व भर में प्रसारित होने वाले रेडियो चैनेल ‘बीबीसी’ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम ‘नेशनवाइड’ में उस समय के चर्चित बॉब वेल्लिंग्स द्वारा गणित से संबंधितित पूछे गए सभी जटिल सवालों का सही उत्तर देने के कारण वे अम्बोलित हो गए थे।
इनकी इस प्रतिभा से उनके प्रसंशकों की संख्या भारत सहित विश्व भर में है। इसके बाद इम्पीरियल कॉलेज लन्दन, में उसने 18 जून 1980 को गणित के एक कठिन प्रश्न का सही उत्तर कुछ सेकंड में देकर उपस्थित दर्शकों को आश्चर्य चकित कर दिया था।
इस अद्भुत क्षमता को देखकर हर कोई इन्हें समय-समय पर परखना चाहता था। 1977 में शकुंतला देवी को अमेरिका जाने का मौका मिला। यहां डलास की एक युनिवर्सिटी में इनका मुकाबला आधुनिक तकनीकों से लैस एक कंप्यूटर ‘यूनीवैक’ से हुआ।
इस मुकाबले में शकुंतला को मानसिक गणना से 201 अंकों की एक संख्या का 23वां मूल निकालना था। यह सवाल हल करने में उन्हें 50 सेकंड लगे, जबकि ‘यूनीवैक’ नामक कंप्यूटर ने इस काम के लिए 62 सेकंड का समय लिया था। इस घटना के तुरंत बाद ही दुनिया भर में शकुंतला देवी का नाम ‘भारतीय मानव कंप्यूटर’ के रूप में प्रख्यात हो गया। Shakuntala Devi Biography in Hindi
पुरस्कार (Shakuntala Devi Awards) :
- 1969 में फिलिपिंस विश्वविद्यालय ने ‘वर्ष की विशेष महिला’ की उपाधि और गोल्ड मेडल प्रदान किया।
- 1988 में इन्हें वाशिंगटन डी.सी. में ‘रामानुजन मैथमेटिकल जीनियस अवार्ड’ से सम्मानित किया गया।
- 1982 में इनका नाम ‘गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में भी शामिल किया गया।
- 2013 में इन्हें मुम्बई में ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से भी सम्मानित किया गया।
- 84वें जन्मदिन पर 4 नवम्बर, 2013 को गूगल ने इनके सम्मान स्वरूप इन्हें ‘गूगल डूडल’ समर्पित किया।
मृत्यु (Shakuntala Devi Death) :
2013 में शकुंतला देवी जी को सांस संबंधी बीमारी होने के कारण ने बैंगलोर के अस्पताल में भर्ती किया गया था, साथ ही वह हृदय एवं किडनी के रोग से ग्रसित भी थी। 2 हफ्ते तक अस्पताल में रहने के बाद 21 अप्रैल 2013 में उनकी मृत्यु हो गई।
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